प्रौद्योगिकी के विकास से कृषि में आया परिवर्तन : मंत्री रामविचार नेताम
रायपुर। कृषि विकास किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने कहा है कि कुछ दशक पूर्व किसान खेती में मानवचलित अथवा बैलचलित कृषि यंत्रों और उपकरणों – खुरपी, कुदाली, हल आदि का उपयोग करते थे, लेकिन प्रौद्योगिकी के विकास के कारण आज खेतों में ट्रैक्टर चलित कल्टिवेटर, रोटावेटर, कम्बाइन जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों एवं मशीनरी का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही अब कृषि में ड्रोन तथा ए.आई. तकनीक का उपयोग भी होने लगा है। कृषि मशीनरी के तकनीकी विकास के कारण कृषि के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। इसके लिए देश के कृषि अभियंता तथा कृषि वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं।
कृषि मंत्री नेताम गुरुवार को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषक सभागार में आयोजित कृषि अभियंताओं के दो दिवसीय 36वें राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजिनियर्स (इंडिया) छत्तीसगढ़ स्टेट सेन्टर, रायपुर एवं स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कृषि अभियांत्रिकी संकाय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर से आए कृषि अभियंता शामिल हुए। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत पीपल के पौधों का रोपण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि भारत में कृषि के क्षेत्र में जो तीन मुख्य कमियां चिन्हित की गई हैं इनमें से कृषि के क्षेत्र में यंत्रों का उपयोग प्रमुख है। पिछले दशकों में कृषि मशीनरी के विकास तथा उपयोग को बढ़ावा मिलने के बावजूद आज भी हमारे देश में कृषि के क्षेत्र में मशीनरी का उपयोग अन्य विकसित देशों की अपेक्षा काफी कम है। उन्होंने कहा कि देश भर में कृषि मशीनरी के डिजाइन तथा तकनीक के विकास का कार्य किया जा रहा है, जिसके सार्थक परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं और आज किसान कृषि यंत्रों का ज्यादा उपयोग करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं कृषि अभियंताओं द्वारा कृषि मशीनरी के प्रौद्योगिकी विकास की दिशा में काफी काम किया गया है और स्थानीय परिस्थितियों एवं किसानों की आवश्यकताओं को देखते हुए अनेक नवीन कृषि यंत्र विकसित किये गये हैं जिनका उपयोग छत्तीसगढ़ के किसान कर रहे हैं। समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय भू-जल बोर्ड, भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ. सुनील के. अम्बस्ट ने कहा कि कृषि मशीनरी के विकास के साथ ही भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में भी अधिक कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा कृषि अभियंताओं के राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया गया। इसके साथ ही इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाशित पुस्तिका तथा 9 सितम्बर 2024 को आयोजित होने वाले बलराम जयंती समारोह के ब्रोशर का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कृषि अभियंताओं का सम्मान भी किया गया जिनमें डॉ. इन्द्रमणी मिश्रा, कुलपति वसंत राव नाईक, मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ परभणी, डॉ. टी.बी.एस. राजपूत, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जल प्रौद्योगिकी केन्द्र, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, डॉ. टी. विद्या लक्ष्मी, वरिष्ठ वैज्ञानिक केन्द्रीय पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजिनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.सी.ए.आर. लुधियाना), डॉ. मधुरेश द्विवेदी सहायक प्राध्यापक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला तथा इं. राजकुमार श्रीवास संचालक शुभी एग्रोटेक प्राईवेट लिमिटेड रायपुर शामिल हैं। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय को लाईफटाइम अचीवमेन्ट अवार्ड से सम्मनित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठा प्रशासनिक आधिकारी, वैज्ञानिक एवं अभियंता उपस्थित थे।