गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में स्कूल जतन अभियान में सरकार के द्वारा लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिया गया है एवं शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, तो वही शिक्षा सत्र शुरू होने की डेढ़ महीने बाद भी शिक्षा व्यवस्था का हाल बद से बत्तर नजर आ रहा है। जहां सरकार के द्वारा स्कूल जतन अभियान के तहत जर्जर पड़े स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए लाखों रुपए व्यय किये जाने का दावा किया जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ देश के भविष्य कहे जाने वाले ननिहाल बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर भविष्य करने को मजबूर हैं।
गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला दाबरीभाटा का यह तस्वीर आपको हैरान कर देगा दरअसल स्कूल भवन जर्जर होने से छात्र-छात्राओं को स्कूल भवन के अंदर बिठाकर पढ़ाना जान हथेली पर लेकर चलने जैसा है, ऐसे में पालकों ने भी साफ मना कर दिया है कि बच्चे पढ़ेंगे तो स्कूल भवन के अंदर नही बैठेंगे। ऐसे में अब नोनीहाल बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
ऐसा नहीं है कि इस पूरे मामले को लेकर पालकों ने जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर स्कूल भवन की मांग नही की हो विगत दो वर्षों से स्कूल भवन की मांग करते-करते पलक हताश हो गए हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने सुध लेना मुनासिब नहीं समझा बहरहाल देखना होगा कि कल के भविष्य कहे जाने वाले नोनीहाल छात्र-छात्रा आखिर कब तक पेड़ की छांव में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होंगे या फिर शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कब तक कुंभकर्णीय नींद से जागते है।