बलरामपुर @ सोमनाथ यादव। भारतीय जनता पार्टी जिला बलरामपुर के जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश जयसवाल प्रदेश की कुशलता की कामना को लेकर झारखंड स्थित बाबा टांगीनाथ जी की शरण में पहुंचे। पूरे विश्व भर में बाबा टांगीनाथ जी की मान्यताएं फैली हुई है। यहां बाबा टांगीनाथ जी से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूर्ण होती है। बाबा टांगीनाथ से जुड़ी बहुत से मान्यताएं हैं। स्थानीय लोगों के द्वारा बताया जाता है इस मंदिर में साक्षात भगवान शिव का वास है। मंदिर परिसर में जो त्रिशूल तलवार रखे गए हैं वह भगवान परशुराम जी के हैं ऐसी बहुत सारी मान्यताएं और किदवंतीया यहां सुनने और देखने को मिलती हैं।
झारखंड अपने पर्यटन और धार्मिक स्थानों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। इसी तरह झारखंड का एक और स्थान है जो भगवान परशुराम से जुड़ा है. झारखंड स्थित टांगीनाथ धाम छत्तीसगढ़ के जिला बलरामपुर के कुसमी से करीब 75 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित है. इसे भगवान परशुराम तपस्थली के रूप में भी जाना जाता है. माना जाता है कि, यहां पर आज भी भगवान परशुराम का फरसा जमीन में गड़ा हुआ है.
ये है फरसे की खास बात
झारखंड में फरसे को टांगी कहा जाता है, इसलिए इस स्थान का नाम टांगीनाथ धाम पड़ा है. यहां फरसे की आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है और यही वजह है की यहां भारी संख्या में श्रद्धालु फरसे की पूजा करने के लिए आते हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि, जमीन पर गड़े इस फरसे में कभी जंग नहीं लगता. खुले आसमान के नीचे धूप, छांव, बरसात, का कोई असर इस फरसे पर नहीं पड़ता है. टांगीनाथ धाम का प्राचीन मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुका है लेकिन आज भी इस पहाड़ी में प्राचीन शिवलिंग जगह-जगह देखने को मिलते हैं.
झारखंड में घने जंगलों के बीच है टांगीनाथ धाम, यहां होती है फरसे की पूजा, हैरान कर देती है ये बात
टांगीनाथ धाम में हजारों की संख्या में शिव भक्त आते हैं. कुछ लोगों का ये भी कहना है कि, टांगीनाथ धाम में गड़ा हुआ फरसा भगवान शिव का ही त्रिशूल है. कहा तो ये भी जाता है कि, शनिदेव के किसी अपराध के लिए शिव ने त्रिशूल फेंककर वार किया था. त्रिशूल डुमरी प्रखंड के मझगांव की चोटी पर आ धंसा, लेकिन उसका ऊपरी भाग जमीन बाहर ही रह गया. त्रिशूल जमीन के नीचे कितनी गहराई तक है, ये कोई नहीं जानता. टांगीनाथ धाम में सैकड़ों की संख्या में पत्थरों को तराश कर बने हुए शिवलिंग बिखरे हैं. यहां कई अद्भुत देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं. ये मूर्तियां पत्थरों को तराश कर बनाई गई हैं. सावन के महीने में इस स्थान का महत्व खासा बढ़ जाता है और दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। टांगीनाथ मंदिर को लेकर कई दिलचस्प कथाएं कही जाती हैं. और मान्यता ये भी है कि यहां खुद भगवान शिव निवास करते हैं।
झारखंड के गुमला जिले में भगवान परशुराम का तप स्थल है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर उपासना की थी।इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है. यही वजह है कि यहां श्रद्धालु इस फरसे की पूजा के लिए आते है। वहीं शिव शंकर के इस मंदिर को टांगीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं.
जंगल में स्थित है मंदिर
झारखंड के इस बियावान और जंगली इलाके में शिवरात्रि के अवसर पर ही श्रद्धालु टांगीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं. यहां स्थित एक मंदिर में भोलेनाथ शाश्वत रूप में हैं. स्थानीय आदिवासी ही यहां के पुजारी है और इनका कहना है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। बाबा टांगीनाथ जी से प्रदेश कुशलता की कामना करने पहुंचे भाजपा बलरामपुर जिलाध्यक्ष प्रकाश जयसवाल के साथ राम लखन पैकरा , संजय जयसवाल , आशीष केसरी, दिनेश पैकरा, अनिल दुबे , सोमनाथ भगत , भरत सेन सिंह, जितेंद्र श्रीवास्तव, मनीष सिंह, आनंद जयसवाल सहित जिला बलरामपुर के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।