रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाया अविश्वास प्रस्ताव 13 घंटे चली चर्चा के बाद सदन में गिर गया। विपक्ष ने 109 बिंदुओं पर आरोप पत्र सदन के पटल पर रखा था ,कल प्रश्नकाल के पश्चात दोपहर 12:00 बजे शुरू हुई चर्चा देर रात 1:00 बजे तक चलती रही। भारतीय जनता पार्टी के पास अविश्वास प्रस्ताव के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी इसलिए विपक्ष ने वोटिंग से पहले सदन में वॉकआउट कर दिया। चर्चा के अंतिम में विपक्ष के आरोपों को मुख्यमंत्री के जवाब के दौरान ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और बिना संबोधन पूरा किये वकआउट कर गए इसके बाद सदन में ध्वनि मत से अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया।
जहां मुख्यमंत्री ने विपक्ष की कार्यशैली के साथ-साथ सेंट्रल एजेंसियों की कार्यवाही तक पर गंभीर सवाल खड़े किए साथ ही मुख्यमंत्री ने विपक्ष के लगाए आरोपों पर सिलसिलेवार जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में चर्चा के दौरान जवाब में कहा कि जब हमारी सरकार बनी तो हमने गड़बो नवा छत्तीसगढ़ की बात की और इसे साकार करने की दिशा में हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दों में कोई तथ्य नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल समस्या पर भी कहा कि नक्सलवाद अब बस्तर में समाप्ति की ओर है यह परिवर्तन बस्तर में देखने को मिला है।
अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि सरकार दिशाहीन है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने इसलिए इस अविश्वास प्रस्ताव को लाया है कि प्रशासन का राजनीतिकरण हो गया है और राजनीति का अपराधीकरण पूरे राज्य में माफिया हावी है ,अपराधों की बाढ़ आ गई है ,अपराधियों को सरकार संरक्षण दे रही है सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है और जनता की भावनाओं पर कुठाराघात किया है। साथ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पैर के नाखून से सिर के बाल तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।