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बीसों कोस बस्तर बुम में पेन जात्रा का क्या है महत्व – एस. आर. सोरी
कोंडागांव @ रूपेंद्र कोर्राम। बस्तर बुम को ही सिंगारदीप, कोयामुरीदीप,जलारंग धरती और कोयतूर बुम भी कहते हैं,, बस्तर बुम में प्राकृतिक रूप से गांव नार संरचना एवं गांयता पेन व्यवस्था से संचालित होता है,,इस व्यवस्था में प्रमुख रूप से बारह मानेय बारह सगा भाईयों के साथ मिलकर समन्वित स्थापित कर पेन व्यवस्था को संचालित करते हैं,, गांव नार संरचना में गांयता व्यवस्था प्रमुख होता है। गांयता के माध्यम से ही गांव नार संरचना एवं पेन जात्रा कार्यक्रम भी संपन्न होता है,,
पेन जात्रा क्या है?? पेन जात्रा कब कब आयोजित होता है??
पेन का मतलब है,,देव,, देने वाला,, जात्रा का मतलब पेन /देव का नेंग नीति रिवाजों से संचालित होने वाला पारंपरिक कोयतूर प्रथा है,,
पेन जात्रा कब कब आयोजित होता है???,
पेन जात्रा सामान्य तौर पर 750गोत्र कुटुम्ब परिवार में यदि कोई भी कुटुम्ब परिवार में कोई पाठ पेन का नये निर्माण होने से, माता मावली के आना बाना के नये निर्माण होने से, गांव नार संरचना का तोरण बांधने से ,या गढ़, मंडा इत्यादि चढ़ने से पेन जात्रा/करसाड़ का कार्यक्रम आयोजित होती है।
उक्त कार्यक्रम में गांयता ,पेन पावे, पंचगढ़ और बारह मानेय बारह सगा भाईयों की प्रमुख रूप से उपस्थिति होती है। पेन जात्रा में सभी बारह सगा भाईयों का कर्म के आधार पर पेन नेंग नीति में प्रमुख भूमिका होती है।
पेन जात्रा में मातृ शक्ति -पितृ शक्ति एवं यूवा- युवतियों का प्राकृतिक रूप से स्थान होता है,,पेन जात्रा में मातृ शक्तियों का नेंग नीति को पूर्ण करने में बहुत ज्यादा भूमिका होती है।।
पेन जात्रा का मुख्य उद्देश्य – प्राकृतिक रूप से सेवा करना होता है, पेन पुरखाओं का आना बाना निर्माण करना होता है ,, पेन पुरखाओं के आना बाना को व्यवस्थित करना होता है,इस खुशी में पेन गणों में,मानव गणों में और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए पेन जात्रा बनाया जाता है।। इस लिए बीसों कोस बस्तर बुम में पेन जात्रा का महत्व बहुत अधिक है।