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अमित जोगी ने बलौदाबाजार हिंसा मामले में जेल में बंद लोगों से की मुलाकात
बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में हुए अग्निकांड मामले में जेल में बंद निर्दोषों से आज जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने बलौदा बाजार जिला जेल में जाकर मुलाकात किया और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। इस दौरान अमित जोगी ने प्रकरण में पुलिस के द्वारा लगभग 1140 पन्ने की अभियोग पत्र की खामियां निकालते हुए मीडिया के सामने अभियोग पत्र की धज्जियां उड़ाई। अमित जोगी ने अभियोग पत्र का अवलोकन किया जो निम्नानुसार है।
10 जून 2024 की घटना से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु:
- 1. बलौदा बाजार पुलिस के द्वारा 10 जून 2024 को रात्रि 9:00 बजे FIR क्रमांक 377/2024 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पंजीबद्ध किया गया।
- 2. 9:35 पर टी आई सुहेला लखेश केवट के द्वारा अज्ञात के स्थान पर किशोर नौरंगे समेत 10 आरोपियों के विरुद्ध नामजद सूचना दर्ज कराई गई। इसी क्रम में रोजनांचा में FIR क्रमांक 377 से 393 के बीच में कुल 13 अलग-अलग FIR 356 लोगों के विरुद्ध पंजीबद्ध किए गए। इनमें से 186 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है, दो आरोपी नाबालिक होने के कारण जमानत पर रिहा है, 86 आरोपी बलोदा बाजार जिला जेल में और शेष 98 आरोपी रायपुर, अंबिकापुर और बिलासपुर केंद्रीय कारा में निरुद्ध है।
- 3. FIR क्रमांक 324/2024 में आरोपी ओमप्रकाश बंजारे एवं देवेंद्र यादव को छोड़ सभी शेष FIR में आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।
- 4. आरोपियों पर यह आरोप लगाया गया है कि उनके द्वारा अमर गुफा की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दशहरा बाजार बलौदा बाजार में जनसभा का आवेदन किया गया किंतु 1142 पन्नों के आरोप पत्र में कहीं पर भी उपरोक्त आवेदन की प्रतिलिपि नहीं है क्योंकि वास्तविकता तो यह है कि उपरोक्त कार्यक्रम का आवेदन भाजपा के वर्तमान जिला अध्यक्ष व पूर्व विधायक सनम जांगड़े द्वारा किया गया था।
इससे स्पष्ट है कि जांच दल द्वारा केवल सरकार के विरोधियों को टारगेट किया जा रहा है। - 5. 10 जून 2024 को पुलिस उपमहानिरीक्षक द्वारा जारी बंदोबस्त के अनुसार दशहरा मैदान, तहसील ऑफिस, चक्रपाणि स्कूल चौराहा, संयुक्त कार्यालय भवन, डीएफओ बंगाल के सामने, सोनपुरी रोड जिला अस्पताल के सामने, अनुसूचित जाति हॉस्टल के सामने, पुलिस लाइन गार्डन के सामने, इंडोर स्टेडियम मुख्य गेट के सामने, कलेक्टर कार्यालय एवं पुलिस कार्यालय मुख्य गेट समेत 10 अलग-अलग स्थान में बैरिकेडिंग की व्यवस्था किया जाना दर्शाया गया है जबकि वास्तविकता यह है कि केवल चक्रपाणि स्कूल चौराहा और अनुसूचित जाति हॉस्टल के सामने ही हल्की-फुल्की बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई थी।
- 6. दशहरा मैदान से कलेक्ट्रेट तक पूरे मार्ग में 34 सीसीटीवी कैमरे यातायात पुलिस के द्वारा लगाया जाना बताया है। आरोप पत्र में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि इनमें से 10 गायब, 03 टूटे हुए और 18 बंद थे। मात्र दो कैमरों की सीसीटीवी फुटेज को आरोप पत्र में सम्मिलित किया गया है। जिसमें किसी भी आरोपी के द्वारा कोई भी अपराधिकृत किया नहीं दिख रहा है।
- 7. आरोप पत्र में 9 पुलिस कर्मियों को चोटिल बताया गया है किंतु उनकी मेडिकल रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सभी चोटें मामूली थी एवं किसी भी परिस्थिति में यह जानलेवा (धारा 307 IPC) की परिभाषा में नहीं आता है।
- 8. आरोप पत्र से स्पष्ट होता है कि लगभग 01 करोड रुपए के वाहनों की क्षति; जिसमें 28 मोटरसाइकिल, 02 फायर ब्रिगेड, 02 शासकीय वाहन सम्मिलित है तथा कलेक्ट्रेट एवं एसपी संयुक्त कार्यालय में लगभग 02 करोड़ की क्षति पहुंची है। इस प्रकार इस पूरे प्रकरण में केवल 03 करोड़ की संपत्ति को क्षति पहुंची है जबकि पुलिस द्वारा प्रकरण की विवेचना में इससे कई गुना ज्यादा राशि खर्च की जा चुकी है।
- 9. इसके अलावा आरोप पत्र में तीन प्रकार के सबूत होना बताया गया है
A. पुलिस कर्मियों के बयान
B. 186 आरोपी की मात्र 06 गैर शासकीय तथा कथित रूप से स्वतंत्र गवाहों के द्वारा तहसीलदार के समक्ष शिनाख्त की। उपरोक्त 6 गवाहों में से 2 गवाह पास्को जैसे संगीन जुर्म में आज भी जेल में है तथा शेष 4 गवाह भी आदतन अपराधी की श्रेणी में आते हैं।
C. बेमेतरा, दुर्ग, कवर्धा, बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर और सक्ती जैसे अलग-अलग जिलों से पुलिस के द्वारा आरोपियों के घरों से पत्थर और बांस के डंडे की बरामदगी होना बताया है। कानून के अनुसार ऐसी सभी बरामदगी मौके वारदात पर मौजूद स्वतंत्र पंचों के सामने करना अनिवार्य है। किंतु उपरोक्त सभी तथाकथित हथियारों की बरामदगी के भी सभी गवाह उपरोक्त 6 आदतन अपराधी ही हैं। - 10. आरोप पत्र की यह बात भी बेहद हास्यास्पद एवं अव्यवहारिक है कि आरोपियों द्वारा पुलिस पर फेंके पत्थर और बस के डंडे को आरोपीगन ने अपने-अपने घरों में सुरक्षित स्थानों में छुपा कर रखा था।
- 11. आरोप पत्र में धारा 65 BTI Act के अंतर्गत प्रस्तुत मोबाइल फोन के कॉल डिटेल्स एवं वीडियो और फोटो, दो सीसीटीवी कैमरा की फुटेज से यह प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी ने किसी को भी चोटिल किया अथवा किसी भी लोक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया गया।