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आउटसोर्स कर्मचारियों के सहारे चल रहा है भगवान विरसा मुंडा महाविद्यालय दिव्यगंवा जिला रीवा

महाविधालय में हो रही परीक्षा में अव्यस्था का आलम ज़मीन पर बैठने को मजबूर है छात्र छात्राएं

रिपोर्टर : सुभाष मिश्र

रीवा। मध्यप्रदेश की सरकार शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक महाविद्यालय खोल कर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का प्रयास कर रही है, लेकिन महाविद्यालय के स्टॉफ की लापरवाही पूरे क्षेत्र के बच्चो के भविष्य को अंधकार में डालने का काम कर रहे हैं।

वहीं सिरमौर विधायक मा दिव्यराज सिंह जब सिरमौर विधानसभा के तराई अंचल में इस महाविद्यालय को लाए थे लोगो में एक खुशी का माहौल व्याप्त हुआ था, कि बच्चो को अब 12वीं के बाद आगे की शिक्षा यही प्राप्त होगी, लेकिन विरसा मुंडा महाविद्यालय दिव्यगवा का हाल बहुत ही बद्दतर होता दिख रहा है।

समय से महाविद्यालय नही पहुंच रहे आधा दर्जन प्राध्यापक व अतिथि विद्वान, बच्चो के भविष्य के साथ कर रहे हैं खिलवाड़ :

आपको बता दे कि भगवान बिरसा मुंडा महाविद्यालय में लगभग 3 दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, लेकिन विरसा मुंडा महाविधालय दिव्यगवा आउट सोर्स के कर्मचारियो के भरोसे चल रहा है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है की लगभग 1 दर्जन प्राध्यापक विद्यालय में कभी समय से नहीं आते हैं, जबकि महाविद्यालय का समय 10 से 5 निर्धारित किया गया है इसके बाद भी प्रोफेसर्स का रीवा व प्रयागराज से बच्चो की पढ़ाई कैसे संभव हो रही है। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं प्राचार्य से लेकर प्राध्यापक वम अतिथि विद्वान तक सभी 2 बजे के बाद महाविद्यालय में आकर अपने आने की कालम पूर्ति कर फिर वापस अपने गंतव्य स्थान को रवाना हो जाते हैं, यह एक दिन की बात नहीं है जबसे कालेज संचालित हुआ तब से यहीं हाल चल रहा है।

वहीं इन दिनों बिरसा मुंडा महाविधालय में बच्चो की परीक्षा संचालित कराई जा रही है, जहां 4 नियमित सहायक प्राध्यापक होते हुए भी अतिथि विद्वान जो की पीएचडी होल्डर भी नही है उनके भरोसे परीक्षा संचालित कराई जा रही है, जो नियम विरुद्ध है अतिथि विद्वान को परीक्षा अधीक्षक एवं नियमित प्राध्यापक को सहायक बना कर परीक्षा संचालित कराई जा रही है। वहीं जहां सही तरीके से छात्र छात्राओं को बैठने की व्यवस्था तक नही है, ज़मीन में दरी और टाट बिछा कर बच्चो को बैठाया जा रहा है, जहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की, जबकि छात्र से ज्यादा संख्या छात्राओं की है, जिन्हे अव्यस्था की वजह से काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

वही परीक्षा भी निर्माण हो रहे भवन में कराई जा रही है तथा महाविद्यालय में लापरवाही इस कदर हावी है कि आउटसोर्स के कर्मचारियो को लगभग 1 वर्ष से वेतन नहीं मिला है। आउट सोर्स कर्मचारी पूरी तरह से परेशान हैं, कर्मचारियों की नियुक्ति भी भ्रष्टाचार से लिप्त है, नियमों कि को तक में रखकर नियुक्ति की गई है। महाविद्यालय के प्राचार्य कागजी कार्यवाही न करतें हुऐ हाथ में हाथ रख कर बैठे हुए हैं, वहीं महाविद्यालय पर समय पर कर्माचारी समय पर उपस्थिति नहीं रहती है, वहीं विरसामुंडा महाविद्यालय के जन भागीदारी अध्यक्ष की निष्क्रीयता का ही परिणाम है कि महाविद्यालय में भर्रेसाही का आलम है. वही विरसा मुंडा महाविद्यालय में लापरवाही का जो आलम है इसके जिम्मेदार यहां के क्षेत्रीय लोग भी हैं जो महाविद्यालय की दुर्दशा देखकर भी अनजान बने हुए हैं। अब देखना यह होगा की आखिर महाविद्यालय की हालात में कब सुधार होगा या फिर ऐसे ही कालेज भगवान भरोसे चलता रहेगा।

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