इलाज के नाम पर निजी अस्पताल में लापरवाही ने ली एक आदिवासी महिला की जान
रिपोर्टर : लोकेश्वर सिन्हा
गरियाबंद। गरियाबंद में इलाज के नाम पर निजी अस्पताल द्वारा की गई लापरवाही ने एक आदिवासी महिला की जान ले लिया। मौत के सप्ताह भर बाद अब पीड़ित न्याय की मांग को लेकर जिला प्रशासन से गुहार लगाया है।
अपने तीन बच्चो के साथ आवेदन की कॉपी लेकर जिला मुख्यालय पहुंचा, यह आदिवासी सख्स कुल्हाड़ी घाट का भागीरथी मरकाम है, जो 35 वर्षीय पत्नी गैंदू बाई की पेट दर्द ठीक कराने निजी अस्पताल के झांसे में आ गया। इलाज के नाम पर जांच, फिर बेतरतीब चीर फाड़ से पत्नी की जान चली गई। विगत 2 मई को पहले राजधानी रायपुर के नानक अस्पताल में इलाज शुरू हुआ, फिर जिले के छुरा ब्लॉक मुख्यालय के लक्ष्मी नारायण अस्पताल में पहुंचा।
इलाज के एवज में आदिवासी परिवार के आयुष्मान कार्ड से रकम निकालने के साथ ही 4 लाख रुपए से ज्यादा पीड़ित ने खर्च किए पर निजी अस्पताल की लापरवाही आदिवासी परिवार के लिए जानलेवा साबित हुआ। पीड़ित परिवार ने अब कलेक्टर और एसपी को मामले की शिकायत कर दोषियों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का गुहार लगाया है।
स्वास्थ्य उपचार अब सेवा नही रह गया है, मामले में इंसानियत भी तार तार हुआ, महिला की तबीयत बिगड़ी तो छुरा के लक्ष्मी नारायण निजी अस्पताल ने 9 मई को रेफर कर दिया। जान बचाने पीड़ित परिवार जिले से लेकर राजधानी तक के सरकारी व निजी अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा।लक्ष्मी नारायण अस्पताल प्रबंधन द्वारा बगैर एक्सपर्ट के राय लिए की गई सर्जरी से महिला की बिगड़ी हालत देख कर दूसरा अस्पताल केस को हाथ नही लगाया।
पीड़ित जिंदगी की भीख मांगते रहे और हालात ने महिला की जान ले लिया।मामले की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दिया है। जिले की सीएमएचओ ने भी माना है कि छुरा के अस्पताल में लापरवाही हुई है। सीएमएचओ पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्यवाही की बात कह रही हैं।