रायपुर का आर टी ओ कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा, बड़े मालवाहकों के फिटनेस टेस्ट के नाम पर अवैध वसूली, ड्राइवरों और गाड़ी मालिकों में आक्रोश
पंकज विश्वकर्मा, विशेष संवाददाता
रायपुर। रायपुर का आर टी ओ कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। बड़े मालवाहकों के फिटनेस टेस्ट के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। ड्रायवरों और गाड़ी मालिकों ने आरोप लगाया है कि कार्यवाही के नाम पर हमें प्रताड़ित किया जा रहा है और अवैध वसूली की जा रही है। रसूखदार और दलालों सक्रिय है और रिचैकिंग के नाम से पैसों की अवैध उगाही की जा रही है।
दरअसल उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार सभी हैवी गाडिय़ों की फिटनेस टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। उक्त आदेश का पालन करते हुए छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग ने सभी वाहनों की फिटनेस जांच शुरू कर दी है। परिवहन विभाग द्वारा पिछले 4 अगस्त से बड़े मालवाहकों या कहें कि हैवी गाडिय़ों का फिटनेस टेस्ट धनेली नाला स्थित फिटनेस सर्विस आफिस के पास किया जा रहा है। फिटनेस टेस्ट के दौरान कई विसंगति और अव्यवस्था देखने को मिली जैसे सर्वर डाउन होना, जांच मशीन की कमी, रिचैकिंग टेस्ट, एक दिन में 50 गाडिय़ों की फिटनेस टेस्ट होना है जिसमें बमुश्किल से 20 से 30 गाडिय़ों का ही टेस्ट हो रहा है।
गाड़ी मालकों के विरोध व गाडिय़ों की संख्या को देखते हुए अब 70 से 80 गाडिय़ों की जांच बढ़ाई जा रही है, ऐसा दावा विभाग द्वारा किया जा रहा है। हैवी गाडिय़ों की फिटनेस टेस्ट के दौरान अधिकांश गाड़ी मालिक और ड्राइवरों द्वारा विरोधाभासी तस्वीर देखने को मिल रही है। जहां गैर और अनावश्यक पैनाल्टी वसूली जा रही है , वहीं ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि टोकन के अनुसार गाडिय़ों की फिटनेस जांच नहीं की जा रही है। रसूखदारो और दलालों से सेटिंग करके समय के पूर्व ही अपनी गाडिय़ों को फिटनेस कराया जा रहा है। वहीं इन सब आरोपों को फिटनेस सेंटर इंचार्ज ताज मोहम्मद ने को नकार दिया। उनका कहना है कि गाडिय़ों की फिटनेस चैकिंग मशीन द्वारा की जा रही है। यह कैसे संभव हो सकता है।
गाडिय़ों की लंबी-लंबी लगी कतारे लगीं हुई है और फिटनेस टेस्ट कराने बड़ी संख्या में गाड़ी मालिक और ड्राइवर सर्विस कैंप पर आ रहे हैं। लेकिन समय पूर्व गाडिय़ों का फिटनेस टेस्ट नहीं होने से विरोधाभासी आवाज सुनने को मिली। जांच में धींगामुश्ती के चलते कैंप परिसर में गाडिय़ों की लंबी कतार लग गई है। कैंप में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। खाने के लिए न होटल न सोने के लिए जगह। लोग परेशान हो रहे हैं। अधिकारियों को सुव्यवस्थित व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे लोगों को परेशानी नहीं हो ,लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मच्छर, कीचड़, बिजली की सुविधा नहीं है और लगातार बारिश हो रही है गाड़ी मालिक और ड्राइवर अंधेरे में रात गुजारने को मजबूरहो रहे हैं।
रसूखदारों की गाड़ियों का बगैर टोकन नंबर लिये समय पूर्व टेस्ट किया जा रहा है। वहीं जितेन्द्र कुसवाहा, अकील अहमद, चन्द्रशेखर, बबन वर्मा ने तहलका से चर्चा करते हुए बताया कि हफ्ते-हफ्ते भर से गाड़ी खड़ी है। गाड़ी की ईएमआई कैसे भरेंगे, आरटीआई के अधिकारी और कर्मचारी की निष्क्रियता के चलते समय से फिटनेस नहीं हो पा रहा है। हमारी गाड़ी 6-7 दिन तक कैंप पर खड़ी है और आज-कल का हवाला देकर टेस्ट नहीं किया जा रहा है। वहीं रसूखदारों और दलालों के माध्यम से टेस्ट के जल्दी और बिना किसी मीन-मेख के कराने के लिए पैसों की मांग की जा रही है।
गाड़ी मालिकों का यह भी कहना है जिनके पास एक गाड़ी से चार पांच गाड़ी है, और सभी गाडिय़ों की ईएमआई चल रही है। वो कहां जायेंगे। उनका कहना है अगर 15 दिन हमारी गाड़ी यही खड़ी रहेंगी तो हम ईएमआई कैसे भरेंगे, परिवहन अधिकारी हमारी समस्या को संज्ञान में लें और जांच के दायरे को बढ़ाये। सर्विस सेंटर में गाडिय़ों की ये चैकिंग , हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है।
जिसमें हैवी गाडिय़ों की आरपीएम इंजन टेस्ट,स्मोक टेस्ट, स्पीड गर्वनर, हार्न टेस्ट, एडजास्र्ट टेस्ट, ब्रेक टेस्ट, साइट स्लीपटेस्ट, स्टैरिंग टेस्ट, हैंडलैम्प टेस्ट, ज्वाइट टेस्ट आदि की बारिकियों से टेस्ट किया जा रहा है। परंतु कुछ गाडियां रैम्प पर खड़ी कर बिना चैंकिंग किये भी रवाना की जा रही है ,ऐसा आरोप बड़ी संख्या में गाड़ी मालिक और ड्राइवरों ने लगाया है।
वहीं इस मामले में ताज मोहम्मद , परिवहन विभाग के सर्विस सेंटर के इंचार्ज ने कहा कि – “सर्विंग सेंटर में परिवहन विभाग के आला अधिकारियों के आदेश के अनुसार सभी हैवी गाड़ियों का बारीकियों से फिटनेस टेस्ट किया जा रहा है। यह टेस्ट कोई इंसान द्वारा नहीं किया जा रहा है, मशीन द्वारा किया जा रहा, फिटनेस टेस्ट में जो आरोप लगाया जा रहा है, वह बेबुनियाद है।”
और इस पूरे मामले में जब तहलका की टीम ने रायपुर आर टी ओ कार्यालय और वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की तो या तो फोन बंद थे या फोन उठाया ही नहीं गया और कार्यालय में कोई भी जवाबदार व्यक्ति उपलब्ध नहीं था।