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सावन का पहला सोमवार आज, पूजा की विधि और व्रत का महत्व, पढ़िए

रायपुर। आज सावन महीने का पहला सोमवार है। सावन का महीना और इसमें पड़ने वाले हर एक सोमवार का विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखना और शिवजी की विशेष पूजा और अभिषेक करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इस बार सावन के महीने में कुल 8 सोमवार व्रत रखे जाएंगे।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करना बहुत ही शुभ फलकारक होता है। बेलपत्र स्वयं शिवजी के त्रिनेत्र का ही स्वरूप है क्योंकि भोलेभंडारी ने स्वयं ही कहा कि मेरे बाएं नेत्र में चंद्रमा, दाएं नेत्र में सूर्य और बीच में अग्नि का वास होता है। इस तरह से देख जाए तो शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी के साथ-साथ सूर्य, चंद्रमा और अग्नि तीनों की एक साथ पूजा होती है। इसके अलावा एक मत यह भी है कि बिल्वपत्र की तीन पत्तियों को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा कई लोग इसे त्रिशूल और भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक भी मानते हैं।

सावन भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का महीना महीना होता है। इस बार सावन का महीना 58 दिनों तक रहेगा। ऐसे में 8 सावन सोमवार और 4 प्रदोष व्रत के साथ सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। सावन के आखिरी सोमवार व्रत और प्रदोष का दुर्लभ संयोग भी बनेगा। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त सावन के महीने में शिवलिंग पर तरह-तरह की सामग्री अर्पित करके शिवजी की अनुकम्पा पाते हैं।

सावन में शिव उपासना करना बहुत ही कल्याणकारी माना गया हैं क्योंकि सावन में भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से कई लाभ होते हैं। जल की धारा भोलेनाथ को अतिप्रिय है। ज्वर में जो मनुष्य प्रलाप करने लगता है,उसकी शांति के लिए जलधारा शुभकारक बताई गई है। इसके आलावा जल से अभिषेक करने पर मनुष्य को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सावन सोमवार व्रत का महत्व

सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में जो भी भक्त भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-उपासना करता है उसकी सभी तरह की मनोकामना जरूर पूरी होती है। सावन माह में आने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस कारण से सोमवार का व्रत रखा जाता है। सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव के साथ चंद्रदेव और शनिदेव दोनों की ही कृपा मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में शनिदोष या सर्पदोष होता है उनके लिए सोमवार का व्रत करना जरूरी होता है।

सावन सोमवार पूजा विधि

सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि करके साफ कपड़े पहन लें।
इसके बाद सूर्यदेव को अर्ध्य देते हुए शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
शिवजी का जलाभिषेक करने के साथ शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही,शहद आदि चढ़ाएं।
इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं।
पूजा सामग्री अर्पित करने के बाद सावन सोमवार व्रत की कथा सुने।
अंत में शिव चालीसा का पाठ, आरती और मंत्रों का जाप करें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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