समस्याओं का थाना : तराई क्षेत्र के थानों में स्टाफ की कमी, गांव की रक्षा का जिम्मा चंद पुलिसकर्मियों पर
रीवा @ सुभाष मिश्रा। जवा थाना क्षेत्र में आबादी लगातार बढ़ रही है। इसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग और कई जिलों के लिए जाने वाले सीधे रास्तों के बीच के इस थाने में पुलिस बल नहीं बढ़ रहा है। सीमित पुलिस बल के कारण अपराधों पर नियंत्रण यहां काफी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। थाना क्षेत्र में एक महिला अफसर और कुछ आरक्षकों के साथ क्षेत्र में कैसे आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकती हैं। जवा थाना अंतर्गत क्षेत्र की सीमाएं भी यूपी से लगे वीरपुर चौकी से सीधे संपर्क करती है।
ऐसी भौगोलिक स्थिति के कारण कई तराईक्षेत्र के अपराधियों की आवाजाही इसी थाना क्षेत्र से होती है। इतनी महत्वपूर्ण स्थिति के बावजूद कम पुलिस बल की बात पूर्व में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी स्वीकार करते रहे हैं। लेकिन शासन के पास बढ़ोतरी के लिए प्रस्ताव भी भेजे गए लेकिन स्टाफ आज भी कम है। तराई क्षेत्र जवा पनवार अतरैला डभौरा जो कि उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती क्षेत्रों से लगे हुए हैं यहां स्टांप की कमी के चलते अपराधों में अंकुश लगना मुश्किल है।
महिला अपराध होने पर कम महिलाकर्मी होने से होती है समस्या – थाने में स्टाफ की बात की जाए तो तीन से चार व्यक्ति कंप्यूटर ऑपरेट करने में लगते हैं। वहीं 4 पुलिसकर्मी वारंट तामिल से लेकर फरार अपराधियों की खोजबीन में लगे रहते हैं। थाना पुलिस बल की कमी से जूझ रहा है। महिला अपराध संबंधित अधिकारियों की बात की जाए तो वर्तमान समय में एक आरक्षक और एक महिला सब इंस्पेक्टर ही स्टाफ में हैं, जबकि तीन से चार महिला अधिकारी की नियुक्ति हाेनी चाहिए। इसके साथ ही चौकी में 8 जवानाें की जरुरत है। अभी एक जवान तैनात हैं। हर थानों में महिला आरक्षको की नियुक्ति करनी चाहिए जो कि न के बराबर है एक महिला अफसर आठ थानों में दर्ज महिला अपराधों को देखती है जो क्षमता से अधिक काम है फिर भी महिला अफसर कर्तव्यों को पूरा करने की कोशिश पर लगी है महिला अफसरों की नियुक्ति हर थानों में होनी चाहिए। हर थानों में होनी चाहिए जिससे कि महिला संबंधी अपराध पर अंकुश लग सके।