चोरभट्ठी गांव में मशरूम उत्पादन से समूह की महिलाओं की बढ़ी आमदनी
जांजगीर-चांपा। चंडी दाई स्व सहायता समूह की महिलाएं मशरूम का उत्पादन करते हुए स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बन अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर रही हैं। इसके साथ ही दूसरी स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए वह प्रेरणास्रोत बन रही हैं। महिलाओं का मानना है कि उनके इस कार्य को आगे बढ़ाने में अहम योगदान राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना का है, जिससे बनाए गए गौठान में जुड़ने के बाद एक गांव से लेकर दूसरे गांव एवं शहरों तक इनके मशरूम का कारोबार फैल चुका है और मशरूम उत्पादन से समूह की महिलाओं आय में वृद्धि हुई है।
जांजगीर-चांपा जिले की जनपद पंचायत पामगढ़ जिसके ग्राम पंचायत चोरभट्ठी गौठान में मशरूम उत्पादन से चंडी दाई स्व सहायता समूह की महिलाएं जुड़ी हुई हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती रमेशरी कश्यप बताती हैं कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में शासन का अहम योगदान रहा है, जिसके द्वारा मशरूम के प्रशिक्षण से लेकर गौठान में शेड का निर्माण कराकर दिया गया, वरना ऐसा संभव ही नहीं था कि महिलाओं को गांव में इतना अच्छा रोजगार मिल सके। जब से गौठान में मशरूम उत्पादन की आजीविका गतिविधि से जुडी तब से तरक्की के रास्ते खुलने शुरू हो गए। वह बताती हैं कि खेती-किसानी के साथ ही मशरूम उत्पादन से भी आय अर्जित कर रही हैं। गांव सहित आसपास के बाजार में मशरूम की मांग बहुत बढ़ रही हैं। समूह को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना से चक्रीय निधि की राशि 15 हजार एवं सामुदायिक निवेश निधि की राशि 60 हजार एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से 1 लाख रूपए की आर्थिक सहायता मिली।
साथ ही गौठान में समूह को मशरूम उत्पादन करने के लिए शेड की व्यवस्था की गई है। एसएचजी समूह द्वारा इस पैरा मशरूम एवं आस्टर मशरूम के उत्पादन करते हुए कार्य शुरू किया। इस वर्ष मशरूम का उत्पादन करते हुए लगभग 40 क्विंटल का विक्रय किया गया। जिससे समूह को 1 लाख रूपए की आय हुई। समूह की महिलाएं बताती हैं कि मशरूम के विक्रय से जो भी आमदनी हुई उसे समूह की महिलाओं ने बराबर-बराबर हिस्से में बांट लिया और उससे घर परिवार के खर्चे के अलावा बच्चों की पढ़ाई सहित अन्य कार्यों में खर्च किये। श्रीमती रमेशरी, अंजनी कश्यप, गौरीबाई, कौशल्या कश्यप, खगेश्वरी कश्यप, गंगाबाई कश्यप सहित समूह की सदस्यों का कहना है कि समूह के गठन होने के बाद से कोई विशेष काम नहीं था, अधिकांश समय यूं ही खाली निकल जाता था, लेकिन गौठान में जब से मशरूम की गतिविधि से जुड़े तब से बेकार बैठना बंद हो गया।