पाकिस्तान में ताजा सांप्रदायिक हिंसा में 37 लोगों की मौत, 103 घायल

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में ताजा सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई और 103 घायल हुए हैं। मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

यह ताजा हिंसा शिया मिलिशिया समूहों द्वारा किए गए जवाबी हमले का परिणाम है। इससे पहले गुरुवार को पाराचिनार से जा रहे यात्री वैन के काफिले पर अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला कर 47 शिया मुसलमानों को मार डाला था।

जानकारी के अनुसार, शनिवार सुबह कुर्रम जिले में ताजा सांप्रदायिक झड़पें शुरू हो गईं, जिसमें बड़ी संख्या में बंदूकधारियों ने भारी हथियारों के साथ आसपास के गांवों को निशाना बनाया। गांवों को मलबे में बदल दिया गया, घरों, बाजारों और सरकारी भवनों को आग लगा दी।

कुर्रम जिले के एक अधिकारी ने बताया, यह हमला शिया उग्रवादी समूह जैनाबियुन ने किया, जिसने गुरुवार को हुई शियाओं की हत्या का बदला लेने की शपथ ली थी। उसके लोगों ने गांवों पर हमला किया और सब कुछ जला दिया। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

नरसंहार के एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुष्टि की कि उसने कम से कम छह हमलावरों के भी जले हुए शव देखे। रिपोर्ट के अनुसार, हमलावरों ने महिलाओं का अपहरण भी किया है और जिले में शिया तथा सुन्नी दोनों संप्रदायों के आदिवासी बुजुर्गों ने हमले तेज करने के संदेश भेजे हैं। कुर्रम जिले में कम से कम तीन अलग-अलग स्थानों से झड़पों की खबरें अभी भी आ रही हैं, जबकि कोहाट जिले से थल-सदा-पराचिनार हाईवे बंद है।

जारी झड़पों के तेज होने के साथ, खैबर पख्तूनख्वा (केपी) की प्रांतीय सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए पेशावर से कुर्रम जिले के लिए रवाना हुआ। हेलीकॉप्टर में खैबर पख्तूनख्वा के कानून मंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक से मिलकर बना एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल था। प्रतिनिधिमंडल ने कुर्रम जिले में स्थानीय प्रशासन से मुलाकात की, लेकिन वापस लौटते समय हेलीकॉप्टर पर कथित तौर पर गोलीबारी की गई।

हालांकि, हेलीकॉप्टर पेशावर में सुरक्षित उतरने में सफल रहा। कुर्रम जिले में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। पिछले 48 घंटे में सुन्नी और शिया सांप्रदायिक झड़पों में करीब 100 लोग मारे गए हैं और 200 अन्य घायल हुए हैं।

कुर्रम जिले में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है। प्रांतीय गवर्नर फैसल करीम कुंदी के अनुसार, सितंबर में अलग-अलग घटनाओं में दोनों संप्रदायों के कम से कम 60 लोग मारे गए थे।

शिया बहुल पाराचिनार क्षेत्र में शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस वाहनों और सुरक्षा चौकियों में आग लगा दी गई। साथ ही, रास्तों को पत्थरों और जलते हुए टायरों से रोक दिया गया। पाराचिनार पहले सुन्नी बहुल इलाकों के साथ हिंसक झड़पों का शिकार हो चुका है।

पाराचिनार में प्रदर्शनकारियों ने बिगड़ते हालात, भोजन, दवाओं, ईंधन और ऑक्सीजन की कमी के बीच अफगानिस्तान के साथ सीमा को तत्काल खोलने की भी मांग की है।

शिया संगठन और राजनीतिक पार्टी माजिस वहदत मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) ने सरकार के सामने कुछ मांगें रखी हैं, जिनमें असुरक्षित सड़कों के कारण पाराचिनार हवाई अड्डे को चालू करना और पीआईए या वायुसेना के विमानों के माध्यम से पाराचिनार तथा पेशावर के बीच मुफ्त शटल सेवा शुरू करना शामिल है।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को प्रांतीय और केंद्रीय सरकार ने नजरअंदाज किया, तो उन्हें मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र से मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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