वन भैंसा संरक्षण, संवर्धन केंद्र से छोड़ा गया 16 देशी भैस, किसानों के लगाए गए खरीफ फसल को पहुंचाया भारी नुक्सान, किसानो में आक्रोश

रिपोर्टर : देवीचरण ठाकुर

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में राजकीय पशु वन भैंसा को सरक्षित करने के लिए वन विभाग के द्वारा लाखों रुपय पानी की तरह बहाया जा रहा है। गरियाबंद जिले के उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में भी वन भैंसा को सरक्षित करने के लिए के देवझर अमली गांव में वन भैंसा संरक्षण, संवर्धन केंद्र बनाया गया है, जिसमे फिलहाल छोटू नमक वन भैंसा को रखा गया है।

राजकीय पशु वन भैंसा का प्रजाति बढ़ाने के लिए वन विभाग के द्वारा देशी नक्स के पालतू भैसो को बाड़े में रखा गया था, जिसके परीक्षण के बाद देशी नस्ल की प्रजाति का पाए जाने के बाद बाड़े में रखे गए 16 देशी भैसो को बीते एक साल से खुले में छोड़ दिया गया, जिसके कारण किसानों के द्वारा लगाए गए खरीफ फसल को भारी नुक्सान पहुंचाया जा रहा है, किसानों के द्वारा धान और मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाने से अक्रोशित देवझर अमली के किसानों ने सभी देशी भैसो को बाड़े मे रख दिया है।

ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि वन विभाग के द्वारा राजकीय पशु के सरक्षन के नाम पर करोड़ों रुपए शासन को चुना लगाया जा रहा है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। ग्रामीणों ने यह भी बताया की वे राजकीय पशु वन भैंसा के सरक्षन के लिए हमेशा सदैव तत्पर रहते है और आगे भी रहेंगे, लेकिन देशी भैसो को बाड़े में रखकर आखिर वन विभाग क्या जताना चाहती है, जिस पालतू भैस को एक साल पहले छोड़ दिया उसे उसके मालिक को सौंप देना चाहिए, ताकि किसानों का फसल नुकसान होने से बच सके, ग्रामीणों का यह भी आरोप है की वन विभाग फसल क्षतिपूर्ति के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति करता है।

वही इस पूरे मामले पर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया है की इस मामले पर हमने उच्च अधिकारी को पत्र प्रेषित किया उच्च कार्यालय के मार्गदर्शन पर कार्यवाही की जाएगी।

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